वो
वो लापर्वा नहीं पर
हमारी फ़िक्र नहीं करते.
वो काबिले तारीफ है पर
हमें तारीफ ए लब्ज नहीं कहते.
वो पास हि होते है पर
अब साथ नहीं लगते....
नज़ारे चुराकर बात करने लगे है वो
आज अपने कम और अजनबी ज्यादा लगे!
उनसे बात किये जैसे अरसा होगया
उनकी मुस्कान देखना मानो एक सपना होगया ..
पता नहीं ऐसा क्या हुआ..
हम सोचते रहगये और वक्त निकलता गया ...
छोडो कब तक जान आँखोमे रोकेंगे
आज इसे आज़ाद करही देते...
तुमसे बात न सही पर
तुम्हारे तस्वीरको कुछ चंद लम्हे और देख लेते....
# ग सखे!!!
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